जहां पर रूके थे दादा जी वहां पर आज भी निरंतर जल रही धुनी
Betul News:- करीब 55 साल पहले जब दादाजी बैतूल आए थे। वे यहां पर रूके थे। दादाजी जहां पर रूके थे वहां पर आज भी उनके द्वारा प्रज्जवलित धुनी निरंतर चल रही है। यह स्थान वर्तमान में खंजनपुर में स्थित है। यहां पर कुटी आज भी वैसी ही है जैसे पहले थे। कुटी के आसपास तो निर्माण किया गया पर कुटी को उसी स्थिति में रखा गया है। दादा भक्त बताते हैं कि यह बेहद ही पावन स्थान है। यहां पर धुनी के अलावा दादाजी के चरण पादुका रखी है। हर साल गुरु पूर्णिमा पर भक्तों की भीड़ यहां उमड़ती है।
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नगर के दादा धुनी कुटी खंजनपुर में गुरू पूर्णिमा पर्व इस बार गुरुवार को को मनाया जाएगा। इसको लेकर भव्य तैयारियां की गई है। दादा धुनी कुटी खंजनपुर ट्रस्ट के अध्यक्ष बताते हैं कि हर साल गुरू पूर्णिमा पर्व पर हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की है। करीब 13 क्विंटल आटे से बना टिक्कड़, एक क्विंटल की चटनी के अलावा करीब ढाई क्विंटल का हलवा श्रद्धालुओं को प्रसादी के तौर पर बनता है।
्रट्रस्ट के प्रफुल्ल सायरे ने बताया कि दादा जी 1930 में खंजनपुर कुटी में रूके थे। 1932 में अंग्रेज कमिश्नर जे.सी.बरौनी ने गुरू पूर्णिमा पर कुटी का निर्माण किया था। तब से श्रद्धालुओं के लिए कुटी आस्था का केंद्र बन गया है।