बकरियां चराने वाला का बेटा, पहले ही प्रयास में क्रैक किया UPSC Exam.

UPSC:- महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में खानाबदोश जनजाति धनगर से आने वाले छात्र बिरुदेव ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। दरअसल, आईपीएस बनना उसके लिए एक जुनून की तरह था। एक बार मोबाइल फोन खोने पर वह थाने पहुंचा तो पुलिस ने उसकी एफआईआर तक नहीं लिखी थी। तभी उसने ठान लिया कि एक दिन अफसर बनकर रहेगा।

दरअसल बिरुदेव का मोबाइल गुम हुआ था और वह पुलिस थाने में शिकायत करने के लिए गया तो पुलिस ने उसकी मदद नहीं मिली। वहीं पर बिरुदेव ने ठान लिया कि वह आईपीएस ऑफिसर बनेगा और बिरुदेव दिन रात मेहनत करते हुए रोजाना 22 घंटे पढ़ाई करता रहा। उसने यूपीएससी की पढ़ाई के लिए दिल्ली में डेरा डाला और मां बाप का नाम रोशन किया। दसवीं और बारहवीं कक्षा में कागल तहसील के मुरगुड केंद्र में बिरुदेव अव्वल नंबर से पास हुआ और पुणे के सिओईपी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने के लिए दाखिल हुआ। बिरुदेव के पिता सिद्धापा ढ़ोने भी बारहवीं कक्षा तक पढ़े हैं लेकिन उसके बाद अपना बकरियों को चराने का पारंपरिक व्यवसाय करते हुए उन्होंने जिंदगी बसर कर दी। बिरुदेव को बड़ा ऑफिसर बनाने का सपना देखा। जब बिरुदेव दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी के लिए गया तो उसके पिता उसको बड़े कष्ट उठाकर 10 से 12 हजार रुपये भेजते। उतनी रकम में बिरुदेव गुजारा कर लेता। बिरुदेव ने कहा कि उसके पिता कई बार अलग नौकरी करने की सलाह देते रहे लेकिन वह जिद पर अड़ा रहा और आखिरकार वह आईपीएस ऑफिसर बन गया।

UPSC परीक्षा में हासिल की 551वीं रैंक

हाथ में लकड़ी और पैरों में बड़ी बड़ी धनगरी चप्पलें पहनकर धूप में बकरी चराने के लिए भटकने वाले के बेटे ने यूपीएससी परीक्षा में 551वीं रैंक पाई है। बिरुदेव यूपीएससी परीक्षा पास करने वाला कागल तहसील का पहला छात्र है। यमगे गांव निवासी बिरुदेव सिद्धाप्पा ढोणे (27) ने दिल्ली में रहकर यूपीएसएस की तैयारी की। पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले से पहले उसने अपनी तहसील के स्कूल से ही दसवीं और बारहवीं पास की थी।

बिरुदेव के पिता का बकरियों को चराने के पारंपरिक व्यवसाय

बिरुदेव के पिता सिद्धापा बारहवीं कक्षा तक पढ़े हैं लेकिन अपना जीवन बकरियों को चराने के पारंपरिक व्यवसाय में बिता दिया। आर्थिक तंगी की वजह से कई बार उसके पिता ने कोई और नौकरी करने की सलाह दी लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। उसने परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की और कई बार तो दिन में 22 घंटे तक पढ़ाई करता था। बिरुदेव के दोस्त ने जब यूपीएससी परीक्षा पास होने की सूचना दी तो माता-पिता और परिजन खुशी से झूम उठे।

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