बैतूल। घोड़ाडोंगरी ब्लाक के बरेलीपार गांव में आज भी होली पर्व की तारीख के दो दिन पूर्व ही होलिका दहन हो जाता है। यह क्रम बीते चार सौ सालों से चलता आ रहा है। केवल होली ही नहीं दीपावली पर्व सहित अन्य पर्व भी दो से तीन पहले ही मना लिया जाता है। बरेलीपार गांव में के ग्रामीणों ने दो दिन पूर्व बुधवार को ही होली पर्व मान लिया। वही मंगलवार को होलिका दहन किया। बरेलीपार के ग्रामीण शिवरतन सलाम ने बताया कि गांव में करीब 400 सालों से ग्रामीण दो दिन बाद होली पर्व मना रहे हैं। यह परंपरा कई पीढ़ी से हम निभा रहे हैं। गांव में कोई भी त्यौहार हो एक या दो दिन पूर्व मान लिया जाता है। त्योहार के दिन गांव में कोई भी त्यौहार नहीं मानता। गांव में खामोशी रहती है। कोई भी त्यौहार अपनी निश्चित तिथि पर नहीं मनाया जाता। होली-दिवाली या कोई भी त्यौहार तय तिथि से एक या दो दिन पहले ही मना लिया जाता है। त्यौहार के दिन गाँव में सन्नाटा पसरा रहता है। इस बार होली 13 मार्च और धुरेड़ी 14 मार्च को है। लेकिन बरेली पर गांव में 11 मार्च को होली पर मना कर होलिका दहन किया गया वहीं 12 मार्च को धुरेड़ी मना ली गई। अनहोनी के डर के कारण ग्रामीण पहले ही त्यौहार मना लेते हैं। ग्रामीण राजेंद्र वर्मा ने बताया कि कई पीढियां से गाँव में यही नियम चला आ रहा है. ऐसा बताया जाता है कि दशकों पहले यहां जब भी कोई त्यौहार मनाया जाता था, तो गाँव मे कोई अनहोनी हो जाती थी. इसके चलते कई वर्षों तक तो यहां कोई भी त्यौहार मनाया ही नहीं गया. लेकिन जब दोबारा शुरुआत हुई तो दहशत के चलते हर त्यौहार एक दिन पहले ही मनाया जाने लगा।
