PM Modi Gifts:- केंद्र सरकार आईएसओ एमए प्रणाली में कई बड़े सुधार कर रही है, जिसे ‘अगली पीढ़ी का एमबीए’ कहा जा रहा है। केंद्र सरकार ने 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की केवल दो अलोकप्रिय कर योजनाओं का प्रस्ताव रखा है, जिनके इस साल दिवाली तक लागू होने की उम्मीद है। केंद्र के प्रस्ताव में 12 और 28 प्रतिशत उम्मीदवारों को हटा दिया गया है। अगर सरकार का यह प्रस्ताव पारित होकर लागू हो जाता है, तो इससे एंट्री लेवल डीलर्स और मोटरसाइकिल के नतीजों में सीधे तौर पर 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
एंट्री लेवल की सभी गाड़ियों हो सकती हैं सस्ती
नया जीएसटी सिस्टम लागू होने के बाद एंट्री लेवल की सभी गाड़ियां सस्ती हो जाएंगी। अभी गाड़ियों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है। गाड़ियों के इंजन और अन्य चीजों के आधार पर, जीएसटी के अलावा 1 से 22 प्रतिशत तक का क्षतिपूर्ति उपकर (Compensation Cess) भी लिया जाता है। इंजन की क्षमता और गाड़ियों की लंबाई के आधार पर कारों पर कुल टैक्स भार, छोटी पेट्रोल कारों के लिए 29 प्रतिशत और एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल) के लिए 50 प्रतिशत तक है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
एंट्री लेवल की गाड़ियों को 18 प्रतिशत वाले स्लैब में रखे जाने की उम्मीद
सूत्रों ने बताया कि जीएसटी सिस्टम को 5 और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय दर संरचना और कुछ चुनिंदा वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत स्लैब में रखने का प्रस्ताव है। इसमें एंट्री लेवल की गाड़ियों को 18 प्रतिशत में रखा जा सकता है। इसके अलावा, 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलों को भी 18 प्रतिशत वाले जीएसटी स्लैब में रखा जा सकता है, जो अभी 28 प्रतिशत वाले स्लैब में हैं। छोटी गाड़ियों पर जीएसटी कम होने से इनकी मांग और बिक्री दोनों बढ़ेगी, क्योंकि कारें सस्ती हो जाएंगी। इससे खपत भी बढ़ेगी, जो केंद्र द्वारा प्रस्तावित जीएसटी सुधार का एक प्रमुख विचार है।
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ये कारें हो जाएंगी सस्ती
नया जीएसटी सिस्टम लागू होता है तो तमाम छोटी कारें जैसे- ऑल्टो, वैगनआर, स्विफ्ट, बलेनो, टाटा टिएगो, पंच, ऑल्ट्रॉज, टिगॉर, हुंडई आई10, आई20, एक्सटर जैसी तमाम गाड़ियां सस्ती हो सकती हैं। संशोधित जीएसटी सिस्टम में 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब के अलावा विलासिता और नुकसानदेह वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत के एक विशेष टैक्स स्लैब रखने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके तहत, बड़ी और महंगी कारों के साथ-साथ मोटरसाइकिलों को भी 40 प्रतिशत वाले जीएसटी स्लैब में रखा जा सकता है।