MP NEWS:- इंदौर में बुधवार को महाराजा तुकोजीराव हॉस्पिटल में जन्मी दो सिर वाली बच्ची की हालत गंभीर है। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है। डॉक्टरों की टीम उसे बचाने का प्रयास कर रही है। आमतौर पर 2 लाख बच्चों में पैदा होने वाले ऐसे विकृत बच्चे कुछ ही समय बाद दम तोड़ देते हैं। डिलीवरी से पहले पेरेंट्स जुड़वां बच्चे समझते रहे। इंदौर में यह मामला डॉक्टरों के लिए भी एक केस स्टडी है। आखिर ऐसे विकृति वाले बच्चे किन कारणों से होते हैं। इनका सर्वाइवल रेट क्या है। इसे बचाने के लिए डॉक्टरों और परिवार को क्या-क्या चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जीवित रहने की स्थिति में क्या-क्या स्वास्थ्य संबंधी और व्यावहारिक परेशानियां होंगी, डॉ. प्रीति मालपानी ने बताया कि एक या दो लाख में ऐसा 1 या 2 ही बच्चा होता है। इस विकृति का मुख्य कारण जेनेटिक होता है। इस केस में भी ऐसा ही है, क्योंकि देवास की इस महिला का पहला बच्चा भी तीन माह में अबॉर्ट (गर्भपात) हो गया था। इसमें भी कारण जेनेटिक ही लगता है।
डॉ. मालपानी के मुताबिक ऐसे बच्चे अबॉर्ट हो जाते हैं या पेट में ही इनकी मौत हो जाती है। अगर विकृति के साथ पैदा होते हैं तो चंद घंटे या कुछ दिनों तक ही जीवित रह पाते हैं। जहां तक इस बच्ची का सवाल है इसके दो सिर हैं जबकि बॉडी एक ही है। जैसे लंग्स, हार्ट, लिम्ब्स एक ही हैं। डॉ. नीलेश जैन के मुताबिक इस बच्ची का वजन तो 2.8 किलो है जो ठीक है, लेकिन दो हार्ट हैं। एक तो पूरी तरह से डेवलप ही नहीं हुआ। दूसरा हार्ट डिफेक्ट है। इस हार्ट की नलियां खुली हुई हैं, होल बड़ा है। यह दो ब्रेन को ब्लड सप्लाय कर रहा है तो उस पर लोड ज्यादा है। ऐसे में सर्वाइवल मुश्किल है। वह अभी वेंटिलेटर पर है।
देर रात ट्रॉली चोरी की वारदात; जांच में जुटी पुलिस
क्या इन्हें अलग कर बचाया जा सकता है?
डॉ. मालपानी का कहना है बिल्कुल नहीं। गर्दन से जुड़े दोनों के सिर हैं, इसलिए मुमकिन ही नहीं है। इसमें पीडियाट्रिशियन सर्जन्स ने मना कर दिया है। देश में एकाध केस अलग करने का हुआ था, लेकिन उसमें सिर नहीं शरीर का अन्य हिस्सा जुड़ा था। डॉ. मालपानी का कहना है काफी चैलेंजेस हैं क्योंकि बच्ची अबनॉर्मल है। सिर के अलावा पूरी बॉडी एक है। दो ब्रेन होने से समझना ही मुश्किल है। हार्ट फेलियर है, ऐसे में मैनेज करना बहुत कठिन है।