Eid al Fitr 2025:- ईद-उल-फितर बड़े ही उत्साह से मनाया जाएगा. ईद उल-फितर, रमजान के पाक महीने के बाद आता है, जो त्याग और संयम का महीना होता है. सेवई की मिठास इस बात का प्रतीक है कि अल्लाह ने अपने बंदों को रमजान के बाद मीठा तोहफा दिया था. ईद के दिन सेवई बनाकर लोगों में बांटने की परंपरा है. यह आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देती है. सेवई की मिठास लोगों के दिलों को जोड़ती है और रिश्तों को मजबूत बनाती है.
सदियों पुरानी है परंपरा
जंग-ए-बद्र में मुसलमानों की जीत की खुशी में सेवई से बनी मिठाई बांटी गई थी. तभी से ईद के दिन सेवई खाने की परंपरा शुरू हुई. सेवई एक पारंपरिक व्यंजन है जो सदियों से ईद के त्योहार का हिस्सा रहा है. भारत में सेवई कई तरह से बनाई जाती है. हर क्षेत्र में इसकी अपनी खास रेसिपी है. जैसे किमामी सेवई, शीर खुरमा, जर्दा सेवई आदि. ईद के दिन सेवई बनाकर और खिलाकर लोग अपनी खुशी का इजहार करते हैं. यह त्योहार की मिठास को और बढ़ा देता है.
फारसी भाषा में शीर का मतलब दूध होता है और खुरमा का मतलब खजूर होता है. ये एक ऐसी फेमस रेसिपी है जो भारत के लगभग हर मुस्लिम लोगों के घरों में तैयार की जाती है और ईद-उल-फितर के दिन लोग बड़े ही स्वाद के साथ खाते हैं और एक दूसरें को गले मिलकर बधाई देते हैं और आपस में खुशियां बांटते हैं.
कब शुरू हुई थी परंपरा?
ऐसा माना जाता है कि सेवई बनाने की परंपरा जंग-ए-बद्र की जीत के बाद शुरू हुई थी. यह ऐतिहासिक युद्ध 2 हिजरी में 17 रमजान के दिन लड़ा गया था और इसे इस्लाम धर्म की पहली जंग माना जाता है. इस प्रकार, ईद के दिन सेवई बनाना न केवल एक स्वादिष्ट परंपरा है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखती है.