शीतला अष्टमी के दिन भोग में बनाए जाते हैं ये खास व्यंजन

Sheetala Ashtami bhog :- शीतला अष्टमी व्रत हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे बसौड़ा, बूढ़ा बसौड़ा या बसियौरा के नाम से भी जाना जाता है। माता शीतला को स्वास्थ्य और आरोग्य की देवी माना जाता है। महिलाएं अपने बच्चों और परिवार की सुख शांति और खुशहाली के लिए शीतला अष्टमी का व्रत रखती हैं। इस दिन पूजा में बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन कुछ खास तरह के व्यंजनों का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति के सभी कष्ट दूर करती हैं।

कब है शीतला अष्टमी?

इस बार चैत्र माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत, 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन 23 मार्च को सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च को रखा जाएगा.

शीतला माता को लगाएं इन चीजों का भोग

शीतला अष्टमी की पूजा में मुख्य रूप से बासी खाने का भोग लगाते हैं और पूरे दिन बांसी भोजन ही खाया जाता है. वहीं पूजा में एक दिन पहले बने ओलिया, खाजा, चूरमा, पकौड़ी, पूड़ी और रबड़ी के अलावा आप मूंग दाल का हलवा, दही चावल,पुए और मीठे चावल आदि का भी भोग लगाना शुभ होता है. मान्यता है कि ऐसा करने से माता शीतला प्रसन्न होती है.

शीतला माता को क्यों लगाया जाता है बासी भोजन का भोग

शीतला अष्टमी सर्दियों का मौसम खत्म होने का संकेत होता है. इसे इस मौसम का आखिरी दिन माना जाता है. ऐसे में शीतला माता को इस दिन बासी खाने का भोग लगाया जाता है और उसके बाद बासी खाना खाना उचित नहीं माना जाता है. कहते हैं शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाने से वो प्रसन्न होती हैं और जातकों को निरोग रहने का आशीर्वाद देती हैं. गर्मियों के दौरान अधिकतर लोग बुखार, फुंसी, फोड़े, नेत्र रोग से परेशान रहते हैं, ऐसे में शीतला सप्तमी और अष्टमी की पूजा करने से इन बीमारियों से बचा जा सकता है.

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